जुस्तजू भाग --- 12
"मौत ने मारा है हमको, जिन्दगी के सताए हुए हैं।"(एल्बम में प्रसिद्ध गीत की पंक्तियां)
आरूषि बैचेन थी अब उसे सब सुधारना था। उसे अनुपम का इंतज़ार था। वह अपने विचारों में खोई सी अपने कमरे में थी कि मम्मीजी ने उसे खाने के लिए बुला लिया।
"कहां खोई हो ?" वह मम्मीजी की आवाज़ पर चौंक गई। उसने पाया कि वह चपातियां गलती से थाली के बाहर रखने जा रही थी।
"सॉरी बुआ.... न. न. मम्मी जी।"
"कल मेरी फ्लाइट है वापस। उससे पहले मुझे तुम दोनों से बात करनी है। अनुपम के फ्री होते ही दोनों आ जाना।"
"जी मम्मीजी"
वह फिर से परेशान हो गई। अब मम्मीजी पता नहीं क्या कहेंगी ?
अनुपम रात 8 बजे आ गया था। ईशान अभी भी मम्मीजी के पास ही था। अपने मन में घुमड़ते सवाल आरुषि को बैचेन कर रहे थे। तभी उसका बुलावा आ गया।
"तुम मेरे साथ मुंबई चल रही हो।"
"पर मम्मी इसका एडमिशन तो एसजी पीजीआई लखनऊ में हो गया है। उसे वहां रिपोर्ट करना है।" अनुपम आरुषि के लिए परेशान था।
"फिर बच्चे को कौन संभालने वाला है ?"
दोनों चुप थे। बात सही थी। एम.सीएच में काफ़ी समय हॉस्पिटल में लगने वाला था। जब तक वह अकेली थी, मां ही उसे संभालती थी। पर अब परिस्थितियां बदल चुकी थी।
"आरुषि, ध्यान से सुनो। अगर पढ़ना ही है तो पूरा ध्यान पढाई पर होना चाहिए। अब मुझे भी किसी के साथ की जरूरत है। तुम दोनों बहुत बिजी रहते हो और बच्चे को कम से कम अब एक के साथ की जरूरत है।"
"मम्मी ..."
"ईशान आपके पास रहेगा।"आरुषि अनुपम की बात काटकर बोल पड़ी। वह अपने ही विचारों मे मगन थी तो अनुपम के बोलने पर उसका ध्यान ही नहीं था और यही उससे गलती हो गई थी।
"ठीक है। अब 3 वर्ष तुम्हारे है। फिर सब तुम दोनों को ही संभालना होगा।"
"पर क्या मम्मीजी ?"आरूषि समझ नहीं पाई।
"मुझे और इस बिज़नेस को। आरूषि, मेरा आशीर्वाद और साथ तुम्हारे साथ है और हमेशा रहेगा। और एक बात, ईशान का नामकरण संस्कार किया था तुमने ?"
"नहीं, बस मां बोलने लगी और....."तभी उन्होंने हाथ उठाकर उसे चुप रहने का ईशारा किया।
"जब भी छुट्टी मिले, बता देना। मैं उदयपुर में इसके पुरखों के घर में इसका विधिवत् नामकरण करना चाहती हूं।"
"अब ये उदयपुर में कैसे पहुंच गई ? हे कान्हा, यह क्या हो रहा है ? पूरा भारत घूमना होगा इन्हें पाने के लिए ?" पर उसे कहां मालूम था कि उसका भाग्य उसे किधर ले जाने वाला था !!
बात दिल की :-
साथियों सबसे पहले इतना इन्तजार करवाने और अपना वादा निभाने में असफल रहने के लिए क्षमा चाहता हूं। कभी सोचा न था कि भाग्य कहानी के किरदारों को ही नहीं नचाता। बल्कि हम भी उसके गुलाम है। तो फिर से आपके अमूल्य इन्तजार के लिए क्षमा प्रार्थी। हां भाग भी छोटा है पर..... 🙏🏻🙏🏻
Arshi khan
27-Jan-2022 12:13 AM
Very beautiful story likhi h aapne
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Ajay
01-Feb-2022 10:19 AM
Thanks Aarshi ji, there are more stories in my profile. Kindly read them and provide your valuable feedback.🙏🏻
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Shaqeel
24-Dec-2021 02:35 PM
Good
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Ajay
24-Dec-2021 02:52 PM
Thanks
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राधिका माधव
23-Dec-2021 04:41 PM
Ye kya itna Chhota sa patr, itni achchi kahani likhi h ki intjar nhi ho rha h, please next part jldi lekr aaye, intjar hi nhi ho rha....!waiting
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Ajay
24-Dec-2021 12:15 AM
आज रात तक के लिए क्षमा करें। कल आप सबकी शिकायत बिल्कुल दूर होगी।🙏🏻🙏🏻
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